The 5-Second Trick For lyrics of shiv chalisa
The 5-Second Trick For lyrics of shiv chalisa
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दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
क्षम्यतां नाथ, अधुना अस्माकं दोषः अस्ति।
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वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देख नाग मुनि मोहे ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
अर्थ- अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की check here ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
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आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें।